उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला सदर हॉस्पिटल मे जिला के कोने कोने. चारो दिशा से गरीब असहाय लोग अपना रइलाज अच्छी तरह निःशुल्क कराने. के लिए. आते है इलाज भी होता है अच्छे अच्छे डाक्टर भी मुजूद है लेकिन जो जो डाक्टर लोग. टेस्ट लिखते है उनमे से कुछ टेस्ट को छोड़ दिया जाता है और कुछ को सादे हवाट पेपर पर लिखकर मरीज के परिवार को दे दिया जाता है जो की कुछ मरीज के परिवार के लोग जो मरीज के साथ दवा कराने या भर्ती कराने एमरजेंसी मै जाते है कोई पढ़ा लिखा रहता है कोई नहीं पढ़ा लिखा रहता है कोई बहुत कम पढ़ा लिखा रहता है उसे हॉस्पिटल के सरकारी व मांदेह कर्मचारी लोग इधर से उधर टेस्ट या दवा के लिए इतना दुड़ाते है की बेचारे लोग औरत मर्द या बच्चे लोग ढूढ़ते ढूढ़ते थक जाते है की कहा जाऊ कब्ज़ इलाज कराऊं की मरीज हमारा ठीक हो जाय ऐसे ही सरकारी दवा तBHUडाक्टर साहब लोग बीमारी के हिसाब से लिखते है लेकिन उनमे से कुछ ही सस्ती दवा जो है वह मिल जाती है जो महंगी दवा रहती है उस दवा को लेने के लिए प्राइवेट मेडिकल पर दवा देने वाले भेज देते है जिसके पास पैसा रहता है वह तो दवा ले लेता है जिसके पास नहीं रहता जी वह बिचारा कुछ ही दवा लेकर घर चला आता है अपने मरीज कोअधूरी दवा के साथ जो की राज्य सरकार या प्रदेश सरकार दवा तो सरकार सभी सरकारी हॉस्पिटलो सभी दवा उपलब्ध कराने व सभी मरीजों का अच्छे से इलाज करने के लिए अच्छे अच्छे डाक्टर की नियुक्ति व कुछ मांदेह वाले लोगो को रखी है लेकिन दवा भी पूरी नहीं मिलतो है पर्ची. के अनुसार डाक्टर की लिखने पर जो सभी जगहों पर जन अवसधि के नाम पर मेडिकल भी सभी हॉस्पिटलो मै खोल कर रखी है उसमे भी पूरी दवा नहीं मिलती है महगी दवा लेने के लिए जनवसधी. पर के दवा देने वालेप्राइवेट मेडिकल पर भेज देते है और पैसा पूरा नहीं होने के वजह से मरीज के परिवार के लोग दवा नहीं ले पाते है किसी का अच्छे से इलाज नहीं होता है उसे जबरदस्ती डिस्चार्ज कर दिया जाता है तो किसी को BHU के लिए रिफर कर दिया जाता है ऐसे तमाम ब्लाको कसक केन्द्रो से लेकर जिला हॉस्पिटल तक देखने को मिल रहा है
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