इंडिया गठबंधन को दिल्ली व मिल्कीपुर उपचुनाव से मिला सबक ---
साथियों उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा का पुलिस के बल पर नंगा नाच सभी अपने आंखों से देखा, वहां जनता और प्रशासन चुनाव लड़ रहे थे भाजपा कहीं नहीं थी। अगर आपको याद होगा तो ये भाइपाई एक छोटा मोटा जिला पंचायत का उपचुनाव भी पुलिस और चुनाव कर्मचारियों बीएलओ , पीठासीन अधिकारियों से मिलीभगत करके कैसे जीतती है ये हमने करंडा द्वितीय के उपचुनाव में देखा है।
बिहार में भी NDA का समीकरण सांप्रदायिक है। चिराग के नाम पर पासवान, मांझी के नाम पर मुसहर, उपेन्द्र कुशवाहा और सम्राट चौधरी के नाम पर कोयरी जैसी बड़ी आबादी वाली जातियां NDA को वोट करेगी। नीतीश कुमार के साथ अतिपिछड़ा का सॉलिड वोट है। अगड़ी जाति भाजपा के साथ मजबूती से खड़ी है। महागठबंधन के पास एक वोट बैंक वाले नेता मुकेश सहनी हैं। बाकी वामपंथी पार्टियों का दायरा कुछ सीमित क्षेत्रों में ही है। रही बात RJD के MY समीकरण की, तो वो पहले ही दरक चुका है। भाजपा अगर हिंदुत्व का कार्ड खेली तो महागठबंधन धाराशायी हो जाएगा। तेजस्वी यादव A टू Z का मोह त्याग कर अखिलेश यादव की तरह PDA की राह पर चले, तो भी स्मिता बचाने की लड़ाई होगी। कांग्रेस में दलित पिछड़ों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं है। बिहार कांग्रेस के बड़े नेताओं की जाति के लोग भाजपा के वोटर हैं। अगर बिहार में NDA को बहुमत मिला और नीतीश कुमार की सीटें कम आयी तो इस बार भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाएगा, दिल्ली का परिणाम का सबसे ज्यादा प्रभाव इसी साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ने वाला है. इसके बाद 27 में उत्तर प्रदेश में समाजवादियों के सामने सत्ता में आने की बहुत बड़ी चुनौती होगी, दिल्ली का चुनाव परिणाम बिहार में तेजस्वी यादव के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है. इस बार भाजपा बिहार में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है. भाजपा छल, कपट से चुनाव लड़ती है,बिहार में वोट बैंक के मामले में NDA, महागठबंधन से कई अंक आगे है.राजद के हार्डकोर समर्थकों को इस बार कड़ी मेहनत करने की जरूरत है. जमीन व सोशल मीडिया पर उन्हें अपना व्यवहार बदलना होगा. यहीं हाल उत्तर प्रदेश में है जहां भाजपा लोगों में जात पात का विष घोले हुए है,अगड़ी-पिछड़ी, मनुवाद-बहुजनवाद, ब्राम्हणवाद-सामाजिक न्याय, आरक्षण-हिस्सेदारी, मंदिर , मस्जिद, धर्म आदि पर बहुत ही नाप-तौलकर सुसंस्कृत लहजे में लिखना-बोलना होगा. उन्हें अपनी बातों को बड़े ही सौम्य तरीके से लोगों के बीच रखनी होगी. विरोधियों को निचा दिखाने वाला व्यवहार , उनके साथ उद्दण्डता से पेश आने की आदत, समुदाय विशेष को चिढ़ाने वाली भाषा आदि का त्याग करना होगा, ताकि आगामी चुनाव में तेजस्वी यादव के राह में बाधा उत्पन्न न हो.
अरविंद केजरीवाल सरकार की हार पर समाजवादी लोग बहुत पीड़ा का अनुभव कर रहे हैं। उन्हें मलाल है कांग्रेस ने यदि किनारा ना किया होता तो भाजपा दिल्ली ना जीतती। उन्हें इस बात पर गौर करना चाहिए कि इंडिया गठबंधन का रुख खुद केजरीवाल ने किया था उन्हें किसी ने भी पटना में हुई प्रथम बैठक में नहीं बुलाया था। स्वयं संयोजक नीतीश कुमार ने उन्हें बुलाना उचित नहीं समझा था। वजह सा़फ थी वे संघ के उस कुंड से निकले थे जो समाजवादियों और कांग्रेस से बुनियादी तौर पर नफ़रत करते रहे हैं।
मगर इंडिया गठबंधन की दरियादिली थी कि उन्हें साथ लिया उनके रास्तों में आए कंटकों को दूर करने में हमेशा सहयोग दिया। लेकिन उन्होंने उत्तर प्रदेश,गुजरात, महाराष्ट्र,गोवा , हरियाणा में कांग्रेस और अन्य दलों की उपेक्षा की। ये तो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय अखिलेश यादव जी जैसे दरियादिली नेता थे जिन्होंने दिल्ली में आप को समर्थन और खुद जाकर प्रचार किया नहीं तो केजरीवाल की पार्टी का और बुरा हाल होता।वे अपनी पार्टी को बड़ी राष्ट्रीय पार्टी समझने लगे थे और उनका मुख्य लक्ष्य विपक्ष को मिटाकर अपना बर्चस्व कायम करना था। जो तानाशाही मोदी जी की तरह भावना को पुष्ट करता है।जो पूरे विपक्ष को साफ करने का मकसद लेकर चुनाव लड़ते हैं।
यही वजह से भाजपा ने लगभग 90% विपक्षी नेताओं पर पहले आपराधिक मामले दर्ज कराए उन्हें परेशान किया फिर सुलह कर उन्हें भाजपा में ना केवल प्रवेश दिया बल्कि उन्हें मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान भी दिया। लोगों का कहना सच है कि भाजपा वाशिंग मशीन में सब पाप धुल जाते हैं।
ये और बात है कि शेष जो 10%लोग हैं वे फिलहाल कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं इनमें वर्तमान प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी, उनकी मां सोनिया गांधी जी और बहिन प्रियंका के परिवार पर भी आपराधिक मामले दर्ज किए गए, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी प्रसाद यादव से लेकर उनके पूरे पारिवार को फसाया गया है,राहुल गांधी की सांसदी भी ख़त्म की गई पर वे अभी तक सुरक्षित हैं। राहुल पर चाहे जब राष्ट्रद्रोह की एफआईआर दर्ज की जाती है। सुश्री मायावती जी जांच के डर से आज विलुप्त होने के कगार पर हैं,पूरा विपक्ष जो महात्मागांधी के सत्य , अहिंसा और भाईचारे की भावना लेकर पुनर्वापसी के अपने चंद कार्यकर्ताओं के साथ ऐसी तानाशाह पार्टी से लोहा ले रहे थे जिसने समस्त लोकतांत्रिक संस्थाओं को खरीद रखा है। चुनाव आयोग से लेकर न्याय व्यवस्था भी गुलाम है सरकार की। इंडिया गठबंधन को सावधानी बरतनी होगी।
डॉ विनोद कुमार यादव जिला उपाध्यक्ष पिछड़ा प्रकोष्ठ समाजवादी पार्टी गाजीपुर।
0 Comments