गाजीपुर विश्वविद्यालय की उम्मीदों पर जनप्रतिनिधियों ने फेरा पानी, मुख्यमंत्री के मौन से छात्र भड़के*


*गाजीपुर विश्वविद्यालय की उम्मीदों पर जनप्रतिनिधियों ने फेरा पानी, मुख्यमंत्री के मौन से छात्र भड़के*


मुख्यमंत्री के आज गाजीपुर आगमन और जिला विकास समीक्षा बैठक से जिले के छात्रों को गहरी निराशा हाथ लगी है। 364 से अधिक महाविद्यालय होने के बावजूद, गाजीपुर जनपद आज भी विश्वविद्यालय विहीन है। छात्रों की दशकों पुरानी और बहुप्रतीक्षित मांग मुख्यमंत्री तक पहुँच ही नहीं पाई, जिससे गाजीपुर में विश्वविद्यालय बनने के छात्रों की आशाओं पर पानी फिर गया है और उनकी वर्षों की आस अधूरी रह गई है विश्वविद्यालय निर्माण मंच के अध्यक्ष दीपक उपाध्याय ने कड़ा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, "यह हमारे स्थानीय जनप्रतिनिधियों की घोर अक्षमता और उदासीनता का स्पष्ट प्रमाण है कि हमारी इतनी महत्वपूर्ण मांग मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत ही नहीं की जा सकी। हमने जिलाधिकारी महोदय को विधिवत ज्ञापन सौंपा था और जनप्रतिनिधियों से व्यक्तिगत रूप से कई बार अपील भी की थी, पर हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के मुद्दे पर पूरी तरह मौन साधा, जो छात्रों के लिए घोर उपेक्षा का विषय है।" श्री उपाध्याय ने आगे आक्रोशित होकर कहा, "इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि जो लोग गाजीपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें ही दबाया जा रहा है। मुख्यमंत्री आगमन के नाम पर मुझे 8 घंटे से अधिक समय तक गैर-लोकतांत्रिक तरीके से नजरबंद (हाउस अरेस्ट) रखा गया। यह हमारी लोकतांत्रिक आवाज़ को कुचलने का एक सीधा और निंदनीय प्रयास है।" गाजीपुर का समस्त छात्र समुदाय इस गंभीर उपेक्षा, लोकतांत्रिक अधिकारों के दमनकारी हनन और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी से रूप से आक्रोशित है। छात्रों ने स्पष्ट किया है कि वे गाजीपुर विश्वविद्यालय की स्थापना होने तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे और इस अन्यायपूर्ण व्यवहार के खिलाफ अपनी आवाज़ को और अधिक बुलंद करते रहेंगे।





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