सूबेदार (सेवानिवृत्त) अनवरुद्दीन खान – एक वीर योद्धा का जीवन
गाजीपुर। सूबेदार (सेवानिवृत्त) अनवरुद्दीन खान का जन्म 1944 में ज़बुर्ना गाँव में हुआ था। बचपन से ही वे अपने दादा के साथ काफी समय बिताते थे, जो स्वयं भी सेना से सेवानिवृत्त थे। अपने दादा से प्रेरित होकर उनके मन में भी देश की सेवा करने और सेना में जाने का जुनून पैदा हुआ। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने सपने को साकार करते हुए 15 राजपूत रेजीमेंट में भर्ती ली। इस तरह उनके जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ। उनकी शादी सलमा बेगम से हुई, लेकिन विवाह के बाद भी उनकी पहली प्राथमिकता हमेशा "कर्तव्य और राष्ट्र" रही। सेना उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई थी।
सूबेदार अनवरुद्दीन खान ने कई महत्वपूर्ण युद्धों और अभियानों में वीरता पूर्वक भाग लिया:
- 1965 के भारत-चीन युद्ध में उनकी तैनाती नागालैंड में हुई, जहाँ उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण बूथ को सुरक्षित किया।
- 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी उन्होंने कई दुश्मन के ठिकानों पर विजय प्राप्त की। - इसके अतिरिक्त उन्होंने 1979 से 1982 तक जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में कई गोपनीय अभियानों में भी अपनी अहम भूमिका निभाई। भारत-पाक युद्ध के दौरान एक विस्फोट की वजह से वे पाकिस्तानी क्षेत्र में फंस गए। सभी को विश्वास हो गया कि वे शहीद हो चुके हैं। उनकी पत्नी ने उनकी कुछ वस्तुओं जैसे बिल्ला, फ्लास्क और नेम प्लेट के साथ उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया। लेकिन लगभग 15-20 दिनों बाद वे जीवित भारत लौट आए और अपने घर पहुंचे।
पारिवारिक कारणों के चलते उन्होंने स्वेच्छा से राजपूत रेजीमेंट से सेवानिवृत्ति ले ली। इसके बाद वर्ष 1983 में उन्होंने डिफेंस सिक्योरिटी कोर (DSC) जॉइन किया, जहाँ उनकी पोस्टिंग मुंबई, विशाखापट्टनम, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में हुई। यहाँ से वे सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए। अपने शानदार सैन्य करियर के दौरान उन्हें कई वीरता पदकों से सम्मानित किया गया, जैसे:
- **रक्षा पदक 1965**
- **9 वर्ष दीर्घ सेवा पदक**
- **संग्राम पदक**
- **पश्चिमी स्टार**
- और कई अन्य महत्वपूर्ण व गोपनीय सम्मान उनके देशभक्ति पूर्ण जीवन से प्रेरित होकर उनके पुत्र ने भी सेना में भर्ती होकर पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाया सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने अपने मूल्यों और देशभक्ति को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने सेना की विधवाओं को पेंशन दिलाने में मदद की, कई गरीब कन्याओं के विवाह में सहायता की, और हमेशा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सबको प्रेरित किया। वे हर यूनिट का **"रेजिंग डे"** बड़े गर्व और उत्साह के साथ मनाते थे।करीब **25 वर्षों** तक वे **पूर्व सैनिक कल्याण संगठन** के अध्यक्ष रहे और सैकड़ों पूर्व सैनिकों की मदद की।वे एक अत्यंत सरल, दृढ़ निश्चयी और आदर्शवादी व्यक्ति थे। जनवरी में उनकी तबियत बिगड़ने पर उन्हें लखनऊ ले जाया गया, जहाँ फरवरी में उनकी गंभीर बीमारी का पता चला। अंतिम सांस तक वे बहादुरी से अपनी बीमारी से लड़ते रहे। आज वह वीर जवान हमारे बीच नहीं रहे ,उनके अंतिम जनाजे में शामिल शौर्य सैनिक संगठन के वीर जवान शामिल रहे ,
कैप्टन सुब्बा यादव प्रदेश अध्यक्ष शौर्य सैनिक संगठन
कैप्टन अम्बिका यादव मण्डल प्रभारी
कैप्टन बबन राम संरक्षक गाजीपुर
कैप्टन विजय सिंह जिला सचिव
कैप्टन रामदुलार यादव प्रदेश कोषाध्यक्ष
कैप्टन ओमप्रकाश यादव
सुबेदार अर्जुन सिंह
सुबेदार राजेश यादव
हवलदार गुलाब यादव
सुबेदार उमाशंकर यादव प्रदेश सचिव
सुबेदार सुरेंद्र यादव उपाध्यक्ष गाजीपुर
कैप्टन कृष्ण कुमार
हवलदार कल्याण यादव। सुबेदार मेजर सोबराती सदर विधान सभाध्यक्ष
सुबेदार मेजर विजय बहादुर सिंह
कैप्टन चरणजीत सिंह कैमूर
आदि संगठ श्रद्धांजलि अर्पित किए।
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